महान अल्लाह का अपने निकटवर्ती फ़रिश्तों के सामने, अपने नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की प्रशंसा करना।
अल्लाह के नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की वह पत्नियाँ जिनके साथ आपने शारीरिक संबंध बनया।
सर्वशक्तिमान एवं महान अल्लाह का वह ग्रंथ, जिसे उसने ईसा (अलैहिस्सलाम) पर उतारा था, जिसमें मार्गदर्शन और शिक्षा थी और जो पूर्ववर्ती ग्रंथ तौरात की पुष्टि के लिए उतरा था। ईसाइयों ने उसे ईसा (अलैहिस्सलाम) के आसमान पर उठा लिए जाने के बाद बदल डाला और पवित्र क़ुरआन के द्वारा उसके आदेशों को निरस्त कर दिया गया।
ईमान और तक़वा वाले लोग, जो अपने तमाम मामलों में अल्लाह का ध्यान करते हुए, उसके अज़ाब और क्रोध के भय से तथा उसकी प्रसन्नता और जन्नत के लोभ में, उसके आदेशों का पालन करते हैं और उसकी मना की हुई चीजों से बाज़ रहते हैं।
मख़लूक़ को किसी ऐसी चीज़ में अल्लाह के बराबर क़रार देना, जो उसी के साथ खास है।
धरती का वह स्थान जहाँ मरे हुए व्यक्ति को दफ़्न किया जाता है।
काफ़िर जिन्न का नाम, जो आग से पैदा हुआ है।
किसी मुसलमान को अधर्मी (इसलाम धर्म त्याग करने वाला) घोषित करना।
एक गुप्त, विवेकशील और शरीयत की पाबंद की हुई सृष्टि, जो विभिन्न रूप धारण कर सकती है और अस्ल में आग से पैदा की गई है।
अल्लाह की निकटता प्राप्त करने के कारणवश, किसी चीज़ को करने के लिए, दिल का पक्का इरादा करना।
हर वह चीज़ जिसपर इनसान इस तरह पूरा विश्वास रखे कि उसपर अपने दिल में गिरह लगा ले और उसे अपना धर्म बना ले।
क़बीला, ख़ानदान अथवा रंग एवं नस्ल आदि के आधार पर किसी ऐसे व्यक्ति का पक्ष लेना तथा बचाव करना, जिसका मामला तुम्हारी नज़र में महत्वपूर्ण हो, चाहे वह सत्य पर हो अथवा असत्य पर।
नमाज़ी का रुकू से उठकर सीधे खड़े होने के बाद 'रब्बना व लकल-हम्द' कहना।
इस बात की सुदृढ़ पुष्टि करना कि सर्वशक्तिमान एवं महान अल्लाह ने हर समुदाय के अंदर रसूल भेजे, जो उन्हें एक अल्लाह की इबादत और उसके सिवा अन्य पूज्यों के इनकार की ओर बुलाते थे। साथ ही, अल्लाह के सवाब का सुसमाचार सुनाते थे और उसके दंड से सावधान करते थे और यह कि ये सभी लोग अल्लाह के भेजे हुए और सच्चे संदेष्टा थे।
यह इसलाम का विपरीतार्थक शब्द है और इसका अर्थ है, कोई ऐसी बात कहना अथवा कार्य करना, कोई ऐसी आस्था रखना, संदेह जताना या किसी ऐसे कार्य का परित्याग करना, जो इनसान को इसलाम के दायरे से बाहर निकाल दे।
इनसान की जान, माल और मान-सम्मान की सुरक्षा करना।
नमाज़ के अंदर अल्लाह की इबादत करते हुए विशेष अंदाज़ में सर और पीठ को झुकाना।
ऐसे शक्तिशाली, धैर्यवान, प्रतिष्ठावान, विवेकशील और सत्य पर दृढ़ता से जमे रहने वाले रसूल, जिनकी ओर अल्लाह ने वह्य की है और जिन्हें अपने धर्म के प्रचार का आदेश दिया है। ये रसूल हैं : नूह, इबराहीम, मूसा, ईसा और मुहम्मद (अलैहिमुस सलातु वस्सलाम)।
कुरआन और हदीस में अल्लाह ने जिन किताबों का संक्षेप एवं विस्तार के साथ उल्लेख किया है, उनकी पुष्टि तथा इक़रार करना और उस किताब पर अमल करना, जिसे हमारी ओर उतारा है।
अल्लाह के वजूद तथा इस बात का दृढ़ विश्वास कि वही सबका पालनहार, सृष्टिकर्ता, स्वामी और संचालनकर्ता है, वही अकेला इबादत का हक़दार है, उसके अच्छे-अच्छे नाम और उच्च कोटि के गुण हैं एवं वह अकेला है और इन तमाम बातों में उसका कोई साझी नहीं है।
मृत्यु तथा पुनरुज्जीवन के बीच रहने का स्थान तथा अवधि।
क़ुरआन और हदीस में सम्मानित फ़रिश्तों के जो गुण, कार्य और नाम संक्षिप्त और सविवरण आए हुए हैं, उनकी पुष्टि एवं इक़रार।
अल्लाह का क़यामत के दिन मुर्दों को जीवित करना और उन्हें क़ब्रों से निकालकर हिसाब तथा प्रतिफल के लिए एकत्र होने के स्थान तक ले जाना।
मृत्य के बाद घटने वाली जिन तमाम घटनाओं की सूचना अल्लाह ने अपनी किताब और अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने हदीसों में दी है, उनकी सुदृढ़ पुष्टि।
तक़वा (धर्मपरायणता) यह है कि इनसान अपने तथा महान अल्लाह एवं उसके अज़ाब और क्रोध के बीच, उसके आदेशों के पालन और उसके निषेधों से बचने के द्वारा आड़ बना ले।
इस बात की दृढ़ पुष्टि कि इस कायनात में जो कुछ होता है, सब सर्वशक्तिमान एवं महान अल्लाह के निर्णय, ज्ञान, लेखन, इरादे और उसकी रचना के तहत होता है।
इस बात का दृढ़ विश्वास रखना और पूरा इक़रार करना कि महान अल्लाह, हर वस्तु का स्रष्टा और मालिक है और इस कायनात के सारे कार्य उसी के द्वारा संचालित होते हैं।
अल्लाह को संपूर्णता और सुंदरता के गुणों के साथ महान मानना और उसे कमियों तथा त्रुटियों से पाक जानना।
वह ग्रंथ, जिसे अल्लाह ने (मूसा अलैहिस्सलाम) पर उतारा था और जो यहूदियों के हाथों छेड़छाड़ का शिकार होने और क़ुरआन के ज़रिए निरस्त होने से पहले बनी इसराईल के लिए प्रकाश एवं मार्गदर्शक की हैसियत रखता था।
सर्वशक्तिमान एवं महान अल्लाह को, उसके रब एवं अकेले पूज्य होने जैसी बातों और उसके नामों और सद्गुणों में, जो उसके साथ ख़ास हैं, एक मानना और स्वयं को बहुदेववाद एवं वहुदेववादियों से अलग रखना।
बड़े बदले और महान प्रतिफल का घर, जिसे अल्लाह ने अपने औलिया और आज्ञाकारी बंदों के लिए तौयार कर रखा है।
तमाम तरह की विदित एवं निहित इबादतों को, चाहे उनका संबंध कथन से हो या कर्म से हो अथवा आस्था से, अल्लाह के लिए समर्पित करना और उसके सिवा किसी की इबादत से, चाहे वह कोई भी हो, इनकार करना।
मोमिन के ईमान की वह शक्ति जो आज्ञापालन और नेकी के कामों के कारण प्राप्त होती है तथा उसके ईमान की वह कमज़ोरी जो गुनाहों और हराम कामों में लिप्त होने के कारण पैदा होती है।
धार्मिक मामलों से संबंधित वह मार्गदर्शन, जिसका अनुसरण प्यारे नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) और आपके सम्मानित साथियों ने किया। इसमें कथन, कर्म और आस्था सब शामिल हैं।
वह व्यक्ति, जो, अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से, उनपर ईमान रखते हुए मिला और इसलाम की अवस्था में मृत्यु को प्राप्त हुआ।
यह कहना कि मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं है और मैं गवाही देता हूँ कि मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अल्लाह के बंदे और उसके रसूल हैं।
जाने अथवा अनजाने तौर पर सत्य से भटक जाना।
अल्लाह के रसूल मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के चार उत्तराधिकारी, जो आपकी मृत्यु के बाद बारी-बारी ख़लीफ़ा बने। इनसे अभिप्राय अबू बक्र सिद्दीक़, उमर बिन ख़त्ताब, उसमान बिन अफ़्फ़ान और अली बिन अबू तालिब (रज़ियल्लाहु अनहुम) हैं।
इसलाम और तौहीद
झाड़-फूँक, गाँठ और मंत्र, जिनके माध्यम से जादूगर शैतानी शक्तियों को काम में लाता है और किसी व्यक्ति के शरीर, बुद्धि अथवा इरादे आदि को प्रभावित करके उसे क्षति पहुँचाने का प्रयास करता है।
सत्य के विपरीत काम करना, चाहे वह कथन में हो या क्रिया में या आस्था में।
इससे अभिप्राय हर वह चीज़ है, जो शिर्क की ओर ले जाने वाली हो और क़ुरआन तथा हदीस में उसे शिर्क कहा गया हो, लेकिन वह बड़े शिर्क की सीमा तक न पहुँचती हो।
हर वह वस्तु जो अल्लाह की ओर इंगित करती हो और उसका रास्ता बताती हो।
जहन्नम की पीठ पर रखा जाने वाला पुल, जिसे लोग अपने- अपने कर्मों के अनुसार पार करके जन्नत पहुँचेंगे और जिसे नेक लोग पार कर जाएँगे और पापी जिससे फिसलकर नीचे (जहन्नम में) गिर जाएँगे।
किसी व्यक्ति का कोई इबादत करते समय अल्लाह की प्रसन्नता की प्राप्ति के अतिरिक्त किसी और उद्देश्य को सामने रखना। उदाहरणस्वरूप, कोई इस उद्देश्य से कोई अमल करे कि लोग उसे देखें और उसकी प्रशंसा करें।
क़यामत के दिन, लोगों के एकत्र होने के स्थान में, कौसर नामी नहर से आए रहे पानी के जमा होने का वह स्थान, जो हमारे नबी मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के लिए तैयार होगा, ताकि आपकी उम्मत के लोग वहाँ आपके हाथ से पानी पीने का सौभाग्य प्राप्त कर सकें।
जिस चीज़ का आदेश मिला हो उसे करना और जिस चीज़ से मना किया गया हो उसे छोड़ना, वो भी अनुसरण के उद्देश्य से। चाहे जिसका आदेश दिया गया हो और जिस चीज़ से मना किया गया हो, वह कोई बात हो या कर्म हो या आस्था।
आस्थाओं, अहकाम (विधि- विधान) और शिष्टाचारों पर आधारित धर्म का स्पष्ट मार्ग।
एक व्यापक अर्थ वाला शब्द, जिसके अंदर वह सारे गुप्त तथा व्यक्त कथन और कार्य आ जाते हैं, जिन्हें अल्लाह पसंद करता है और जिनसे वह प्रसन्न होता है।
सीधा मार्ग: उच्च एवं महान अल्लाह का वह मार्ग, जिसे उसकी ओर से उसके रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के माध्य से बंदों के लिए निर्धारित किया गया है। यही रास्ता बंदे को अल्लाह तक पहुँचाता है और इसपर चलने का अर्थ अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के आदेशों का पालन करना, मना की हुई वस्तुओं से दूर रहना और आपके द्वारा दी गई सूचनाओं की पुष्टि करना है।
आस्था या कर्म के मामले में शरीयत की बताई हुई सीमा से आगे बढ़ना, चाहे वह परिमाण में हो, विशेषण में हो, आस्था में हो या फिर कर्म में।
अल्लाह की वह वाणी क़ुरआन कहलाती है, जो उसके रसूल मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर उतारी गई है, जिसकी तिलावत इबादत है, जो मुसहफ़ों में लिखी हुई है और जो मुतवातिर सनदों से हम तक हस्तांतरित होई है।
धर्म की सुरक्षा के उद्देश्य से, कुफ़्र और शिर्क के क्षेत्र को छोड़कर इसलाम के क्षेत्र की ओर चले जाना।
धर्म में कोई ऐसा नया तरीक़ा जारी करना, जिसका उद्देश्य यह हो कि उसपर अमल करके अल्लाह की इबादत में बढ़ोतरी की जाए।
अल्लाह को हर कमी से पवित्र घोषित करना और उसके लिए हर कमाल को सिद्ध करना।
अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से वर्णित आपके कथन, कार्य, सहमति, विशेषता अथवा स्वभाव। चाहे उसका संबंध नबी बनने से पहले से हो या नबी बनने के बाद से।
तौहीद (केवल अल्लाह की इबादत) के माध्यम से अल्लाह के सामने आत्मसमर्पण करना, आज्ञाकारिता के माध्यम से उस के आदेशों के आगे झुक जाना और बहुदेववाद (शिर्क) तथा बहुदेववादियों से बरी हो जाना।
आस्था तथा अमल में अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की सुन्नत का अनुसरण करने वाले और मुसलमानों की जमाअत से अनिवार्य रूप से जुड़े रहने वाले।
पूर्ण पुष्टि, जो स्वीकृति और अनुकरण को अनिवार्य करती हो, तथा ईमान नाम है ज़बान से कहने, दिल से विश्वास करने और शरीर के अंगों द्वारा अमल करने का। यह घटता भी है और बढ़ता भी है।
हर वह नई चीज़ जिसे धर्म के भाग के रूप में शुरू किया जाए और शरीयत के अंदर उसका कोई प्रमाण न हो। चाहे उसका संबंध आस्था से हो या इबादत से हो।
ऐसे प्रेम की धारा को अल्लाह के अतिरिक्त किसी और की ओर मोड़ना, जिसमें श्रद्धा, सम्मान, अधीनता और आज्ञाकारिता आदि पाई जाएँ।
बंदे का धर्मादेशों को बदलने, जैसे हराम को हलाल और हलाल को हराम करने के मामले में अल्लाह के अतिरिक्त किसी और की बात मानना।
हर वह गुनाह, जिसका दुनिया में कोई दंड निर्धारित किया गया हो, आख़िरत में कोई सज़ा बताई गई हो या जो अल्लाह की लानत (धिक्कार) अथवा उसके क्रोध या ईमान के खंडन, का काराण बन जाता हो।