ग्रंथों पर ईमान लाना। - الإيمان بالكتب

कुरआन और हदीस में अल्लाह ने जिन किताबों का संक्षेप एवं विस्तार के साथ उल्लेख किया है, उनकी पुष्टि तथा इक़रार करना और उस किताब पर अमल करना, जिसे हमारी ओर उतारा है।

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इंजील - إنجيل

सर्वशक्तिमान एवं महान अल्लाह का वह ग्रंथ, जिसे उसने ईसा (अलैहिस्सलाम) पर उतारा था, जिसमें मार्गदर्शन और शिक्षा थी और जो पूर्ववर्ती ग्रंथ तौरात की पुष्टि के लिए उतरा था। ईसाइयों ने उसे ईसा (अलैहिस्सलाम) के आसमान पर उठा लिए जाने के बाद बदल डाला और पवित्र क़ुरआन के द्वारा उसके आदेशों को निरस्त कर दिया गया।

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तौरात - توراة

वह ग्रंथ, जिसे अल्लाह ने (मूसा अलैहिस्सलाम) पर उतारा था और जो यहूदियों के हाथों छेड़छाड़ का शिकार होने और क़ुरआन के ज़रिए निरस्त होने से पहले बनी इसराईल के लिए प्रकाश एवं मार्गदर्शक की हैसियत रखता था।

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क़ुरआन - القرآن

अल्लाह की वह वाणी क़ुरआन कहलाती है, जो उसके रसूल मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर उतारी गई है, जिसकी तिलावत इबादत है, जो मुसहफ़ों में लिखी हुई है और जो मुतवातिर सनदों से हम तक हस्तांतरित होई है।

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