धार्मिक आदेश बताना, उसे मानने के लिये बाध्य केए बिना।
वह कार्य जिसे छोड़ने का आदेश शरीयत ने दृढ़ता के साथ दिया हो।
ऐसी शक्ति, जो किसी नाबालिग के अंदर पैदा होती और उसके नतीजे में वह बाल्यावस्था की सीमा से निकलकर पुरुषत्व अथवा स्त्रीत्व के दायरे में क़दम रख देता है।
हर वह चीज़ जिसपर इनसान इस तरह पूरा विश्वास रखे कि उसपर अपने दिल में गिरह लगा ले और उसे अपना धर्म बना ले।
वह बातें और हिकमतें, जिनका ध्यान शरीयत के निर्माण के समय साधारणतया और विशेष रूप से रखा गया है और जिनके अंदर बंदों के हित निहित हैं।
शरीअत बनाने वाला यानी सर्वशक्तिमान अल्लाह की ओर से किसी कार्य से बचने का स्पष्ट एवं सुदृढ़ आदेश।
धार्मिक मामलों से संबंधित वह मार्गदर्शन, जिसका अनुसरण प्यारे नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) और आपके सम्मानित साथियों ने किया। इसमें कथन, कर्म और आस्था सब शामिल हैं।
जाने अथवा अनजाने तौर पर सत्य से भटक जाना।
जिस चीज़ का आदेश मिला हो उसे करना और जिस चीज़ से मना किया गया हो उसे छोड़ना, वो भी अनुसरण के उद्देश्य से। चाहे जिसका आदेश दिया गया हो और जिस चीज़ से मना किया गया हो, वह कोई बात हो या कर्म हो या आस्था।
इनसान की वह विशेषता, जिसके आधार पर अल्लाह ने उसे अन्य सभी जानदारों से अलग किया है और जिसके न पाए जाने के बाद आदमी धार्मिक आदेशों तथा निषेधों के अनुसरण का पाबंद नहीं रह जाता।
आस्थाओं, अहकाम (विधि- विधान) और शिष्टाचारों पर आधारित धर्म का स्पष्ट मार्ग।
हर वह वस्तु अथवा कार्य जिसे छोड़ने का आदेश शरीअत के प्रदाता ने दृढ़ता के साथ दिया हो।
एक विद्वान का, प्रासंगिक प्रमाणों से कोई इजतिहादी शरई हुक्म जानने के लिए, अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना।
हर वह वस्तु, जिसे करने अथवा छोड़ने की अनुमति शरीअत ने दी हो।