हर वह चीज़ जिसपर इनसान इस तरह पूरा विश्वास रखे कि उसपर अपने दिल में गिरह लगा ले और उसे अपना धर्म बना ले।
जिस चीज़ का आदेश मिला हो उसे करना और जिस चीज़ से मना किया गया हो उसे छोड़ना, वो भी अनुसरण के उद्देश्य से। चाहे जिसका आदेश दिया गया हो और जिस चीज़ से मना किया गया हो, वह कोई बात हो या कर्म हो या आस्था।