नमाज़ी का रुकू से उठकर सीधे खड़े होने के बाद 'रब्बना व लकल-हम्द' कहना।
अल्लाह को संपूर्णता और सुंदरता के गुणों के साथ महान मानना और उसे कमियों तथा त्रुटियों से पाक जानना।
सर्वशक्तिमान एवं महान अल्लाह को, उसके रब एवं अकेले पूज्य होने जैसी बातों और उसके नामों और सद्गुणों में, जो उसके साथ ख़ास हैं, एक मानना और स्वयं को बहुदेववाद एवं वहुदेववादियों से अलग रखना।
अल्लाह के रसूल मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के चार उत्तराधिकारी, जो आपकी मृत्यु के बाद बारी-बारी ख़लीफ़ा बने। इनसे अभिप्राय अबू बक्र सिद्दीक़, उमर बिन ख़त्ताब, उसमान बिन अफ़्फ़ान और अली बिन अबू तालिब (रज़ियल्लाहु अनहुम) हैं।
अल्लाह को हर कमी से पवित्र घोषित करना और उसके लिए हर कमाल को सिद्ध करना।
हर वह वस्तु जो अल्लाह की ओर इंगित करती हो और उसका रास्ता बताती हो।
अल्लाह की वह वाणी क़ुरआन कहलाती है, जो उसके रसूल मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर उतारी गई है, जिसकी तिलावत इबादत है, जो मुसहफ़ों में लिखी हुई है और जो मुतवातिर सनदों से हम तक हस्तांतरित होई है।