हज या उमरा में दाख़िल होने की नीयत को एहराम कहा जाता है।
वह कार्य जो हज अथवा उमरा के एहराम के कारण, एहराम बाँधे हुए व्यक्ति के लिए हराम हो जाते हैं।
इससे अभिप्राय है, किसी जानवर का रक्त एक विशेष पद्धति से बहाना।
कुछ विशेष कार्यों की अदायगी के लिए, साल के किसी भी दिन, मक्का में स्थित मस्जिद-ए-हराम की ज़ियारत (दर्शन) करना।
हर वह वस्तु अथवा कार्य जिसे छोड़ने का आदेश शरीअत के प्रदाता ने दृढ़ता के साथ दिया हो।