बंदे का अपने पालनहार से यह प्रार्थना करना कि उसके गुनाह माफ़ हो जाएँ और उसके बुरे प्रभावों से सुरक्षा प्राप्त हो जाए।
किसी इनसान की अनुपस्थिति में उसकी चर्चा ऐसी कमियों और खामियों के साथ करना, जो उसके अंदर हों और जिनकी चर्चा उसे पसंद न हो।
तक़वा (धर्मपरायणता) यह है कि इनसान अपने तथा महान अल्लाह एवं उसके अज़ाब और क्रोध के बीच, उसके आदेशों के पालन और उसके निषेधों से बचने के द्वारा आड़ बना ले।
नफ़्स (आत्मा) का उस चीज़ की ओर झुकाव, जो उसे अच्छी लगे और जिसमें उसे आनंद मिले।
जान- बूझकर झूठी गवाही देना कि ग़लत उद्देश्यों की पूर्ति की जा सके।
गुनाह का काम छोड़ देना, उसपर शर्मिंदा होना, दोबारा गुनाह न करने का दृढ़ संकल्प लेना और जिन कामों को दोबारा करना संभव हो, उन्हें दोबारा करके क्षति को पूरा करना।
सत्य के विपरीत काम करना, चाहे वह कथन में हो या क्रिया में या आस्था में।
किसी व्यक्ति का कोई इबादत करते समय अल्लाह की प्रसन्नता की प्राप्ति के अतिरिक्त किसी और उद्देश्य को सामने रखना। उदाहरणस्वरूप, कोई इस उद्देश्य से कोई अमल करे कि लोग उसे देखें और उसकी प्रशंसा करें।