किसी इनसान की अनुपस्थिति में उसकी चर्चा ऐसी कमियों और खामियों के साथ करना, जो उसके अंदर हों और जिनकी चर्चा उसे पसंद न हो।
किसी व्यक्ति का कोई इबादत करते समय अल्लाह की प्रसन्नता की प्राप्ति के अतिरिक्त किसी और उद्देश्य को सामने रखना। उदाहरणस्वरूप, कोई इस उद्देश्य से कोई अमल करे कि लोग उसे देखें और उसकी प्रशंसा करें।