माता-पिता की बात मानना और उनके साथ शब्द और कर्म दोनों से अच्छा व्यवहार करना, उनके जीवनकाल में भी और उनके मरने के बाद भी।
माता-पिता या दोनों में से किसी एक को संतान की ओर से होने वाला ऐसा कष्ट, जो समाज में मामूली न समझा जाता हो।
किसी इनसान की अनुपस्थिति में उसकी चर्चा ऐसी कमियों और खामियों के साथ करना, जो उसके अंदर हों और जिनकी चर्चा उसे पसंद न हो।
किसी चीज़ के बारे में वास्तविकता के विपरीत सूचना देना, चाहे जान-बूझकर हो या गलती से।
जाने अथवा अनजाने तौर पर सत्य से भटक जाना।
नफ़्स (आत्मा) का उस चीज़ की ओर झुकाव, जो उसे अच्छी लगे और जिसमें उसे आनंद मिले।
निकटवर्तियों पर उपकार तथा उनके साथ भला करना और उन्हें बुराई से बचाना।