ऐसी शक्ति, जो किसी नाबालिग के अंदर पैदा होती और उसके नतीजे में वह बाल्यावस्था की सीमा से निकलकर पुरुषत्व अथवा स्त्रीत्व के दायरे में क़दम रख देता है।
किसी एवज़ (विनिमय) के बिना क़र्ज़ की अदायगी का समय आने के बाद उसमें विलंब के मुक़ाबले में सशर्त अतिरिक्त धन। इसी तरह, विशिष्ट वस्तुओं को उनकी कोटि की वस्तुओं से हाथों-हाथ बेचते समय ली गई अतिरिक्त वस्तु अथवा वस्तु को स्वामित्व में लेने में विलंब।
शरीयत में निषिद्ध क्रय-विक्रय
मालिक बनने तथा मालिक बनाने के इरादे से धन को धन से बदलना।
वह स्थान, जिसे हमेशा नमाज़ पढ़ने के लिए ख़ास कर दिया गया हो।