मख़लूक़ को किसी ऐसी चीज़ में अल्लाह के बराबर क़रार देना, जो उसी के साथ खास है।
झाड़-फूँक, गाँठ और मंत्र, जिनके माध्यम से जादूगर शैतानी शक्तियों को काम में लाता है और किसी व्यक्ति के शरीर, बुद्धि अथवा इरादे आदि को प्रभावित करके उसे क्षति पहुँचाने का प्रयास करता है।
इससे अभिप्राय हर वह चीज़ है, जो शिर्क की ओर ले जाने वाली हो और क़ुरआन तथा हदीस में उसे शिर्क कहा गया हो, लेकिन वह बड़े शिर्क की सीमा तक न पहुँचती हो।
किसी व्यक्ति का कोई इबादत करते समय अल्लाह की प्रसन्नता की प्राप्ति के अतिरिक्त किसी और उद्देश्य को सामने रखना। उदाहरणस्वरूप, कोई इस उद्देश्य से कोई अमल करे कि लोग उसे देखें और उसकी प्रशंसा करें।
ऐसे प्रेम की धारा को अल्लाह के अतिरिक्त किसी और की ओर मोड़ना, जिसमें श्रद्धा, सम्मान, अधीनता और आज्ञाकारिता आदि पाई जाएँ।
बंदे का धर्मादेशों को बदलने, जैसे हराम को हलाल और हलाल को हराम करने के मामले में अल्लाह के अतिरिक्त किसी और की बात मानना।