वह नमाज़, जो इशा की नमाज़ तथा फ़ज्र प्रकट होने के दरमियान पढ़ी जाती है और जिससे रात की नमाज़ का समापन होता है।
जमात के साथ नमाज़ पढ़ना
शरीर के अंगों का नमाज़ के सभी क्रिया-संबंधी आधारों में कुछ देर के लिए इस तरह स्थिर हो जाना कि सारे अंग अपने-अपने स्थान पर बराबर हो जाएं।
वह स्थान, जिसे हमेशा नमाज़ पढ़ने के लिए ख़ास कर दिया गया हो।