ज़कातुन-नक़दैन (सोने और चाँदी की ज़कात) - زَكاةُ النَّقْدَينِ

सोने तथा चाँदी, उनसे बनी हुई वस्तु अथवा उनके स्थान पर प्रयुक्त किसी वस्तु का एक निश्चित भाग ज़कात के हक़दारों पर खर्च करना, जब वह निसाब (निर्धारित सीमा, जिसके बाद धन की ज़कात देनी होती है) तक पहुँच जाए और उसपर एक साल गुज़र जाए।

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