नमाज़ की अदायगी के लिए शरीयत की ओर से निर्धारित समय
वह दिशा, जिसकी ओर मुँह करके मुसलमान नमाज़ पढ़ते हैं।
मानव शरीर के उन अंगों तथा भागों को, जिनका खुलना बुरा लगता है और जिन्हें दिखाने में शर्म आती है, जैसे शर्मगाह आदि को विशेष रूप से नमाज़ में छुपाना।
शरीर का हर वह अंग जिसका ढाँपा जाना ज़रूरी है और उसके खोलने से लज्जा आती है, जैसे आगे और पीछे की शर्मगाह आदि।