वह अवधि जिसमें स्त्री मासिक धर्म तथा प्रसव के बाद आने वाले रक्त से पवित्र रहती है।
पूरे शरीर पर पानी बहाना, चाहे बड़ी नापाकी(संभोग अथवा स्वप्नदोष आदि से होने वाली नापाकी) से पवित्रता प्राप्त करने की नीयत से हो या मुसतहब (पुण्यकारी) पाकी हासिल करने के लिए हो या बिना किसी नीयत के हो।
नमाज़ से रोकने वाली गंदगी और नापाकी को दूर करना।
निकाह के अनुबंध को, कुछ विशेष शब्दों या उनके स्थान पर प्रयोग होने वाले अन्य शब्दों के द्वारा,वर्तमान में या भविष्य में, पूर्णतया अथवा आंशिक रूप से, समाप्त कर देना।
वह दिशा, जिसकी ओर मुँह करके मुसलमान नमाज़ पढ़ते हैं।
काफ़िर जिन्न का नाम, जो आग से पैदा हुआ है।
इबादत की नीयत से शरीर के कुछ ख़ास अंगों को पाक करने वाले जल के द्वारा विशेष रूप से धोना,वज़ू कहलाता है।
मानव शरीर के उन अंगों तथा भागों को, जिनका खुलना बुरा लगता है और जिन्हें दिखाने में शर्म आती है, जैसे शर्मगाह आदि को विशेष रूप से नमाज़ में छुपाना।
शरीर का हर वह अंग जिसका ढाँपा जाना ज़रूरी है और उसके खोलने से लज्जा आती है, जैसे आगे और पीछे की शर्मगाह आदि।