पूरे शरीर पर पानी बहाना, चाहे बड़ी नापाकी(संभोग अथवा स्वप्नदोष आदि से होने वाली नापाकी) से पवित्रता प्राप्त करने की नीयत से हो या मुसतहब (पुण्यकारी) पाकी हासिल करने के लिए हो या बिना किसी नीयत के हो।
मानव शरीर के उन अंगों तथा भागों को, जिनका खुलना बुरा लगता है और जिन्हें दिखाने में शर्म आती है, जैसे शर्मगाह आदि को विशेष रूप से नमाज़ में छुपाना।
शरीर का हर वह अंग जिसका ढाँपा जाना ज़रूरी है और उसके खोलने से लज्जा आती है, जैसे आगे और पीछे की शर्मगाह आदि।